आज सुमत के बल मा संगी, नवा बिहनिया आइस हे
अंधवा मनखे हर जइसे, फेर लाठी ल पाइस हे
नवा रकम ले नवा सुरूज के अगवानी सुग्घर कर लौ
नवा जोत ले जोत जगाके , मन ला उञ्जर कर लौ
झूमर झूमर नाचौ करमा, छेड़ौ ददरिया तान रे
धान के कलगी पागा सोहै, अब्बड़ बढ़ाए मान रे
अनपुरना के भंडारा ए, कहाँ न लांघन सुर्तेय –
अपन भुजा म करे भरोसा, भाग न ककरो .लुर्टय् हम
सहानदी के एं घाटी म कभू न कोनो प्यास मरँय
रिसि-मुनि के आय तपोवन, कभू न ककरो लास गिरय
जिहाँ कोरबा अउर भेलाई, हीरा के हवय खदान रे
बांगो अउर गंगरेल बंधाए, छलकत हवय बंघान रे
Chhattisgarhi Poetry Collection